पुरुष की बजाय महिला डॉक्टरों के इलाज से जल्दी ठीक होते है रोगी मृत्यु दर भी होती है कम....रिसर्च
टोक्यो यूनिवर्सिटी, जापान के शोधकर्ताओं ने 700,000 से अधिक मेडिकेयर मरीजों के डेटा
का विश्लेषण किया, जिन्हें
2016 से
2019 के
बीच इलाज की जरूरत पड़ी। जो 65 वर्ष
या उससे अधिक आयु के थे और वर्ष 2016 से
2019 के
बीच अस्पताल में भर्ती थे। इस अध्ययन में शामिल करीब 460,000 महिला और 320,000 पुरुष मरीजों में से एक तिहाई का
इलाज महिला डॉक्टरों ने किया था। इस अध्ययन में देखा गया कि महिला और पुरुष मरीजों
में से जिनका इलाज महिला डॉक्टरों ने किया, उनकी मृत्यु दर कम थी। जब
अस्पताल की देखभाल की
गुणवत्ता की बात आती है, तो
अस्पताल में बिताए गए समय, इलाज
पर हुए खर्च, और
मरीजों को उनके घर भेजने की संभावना जैसे मुख्य मानकों पर ध्यान दिया जाता है,लेकिन
इस शोध में यह पाया गया कि चाहे इलाज महिला डॉक्टरों ने किया हो या पुरुष डॉक्टरों
ने, इन
मानकों में किसी तरह का कोई खास अंतर नहीं था यानी कि दोनों ही मामलों में इलाज का
समय, खर्च
और घर जाने की स्थिति लगभग समान रही।
यह रिसर्च यह भी दिखाती है कि अगर महिला
डॉक्टरों की संख्या बढ़े तो यह हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ला सकती है। इसलिए, महिलाओं को डॉक्टर बनने के लिए और अधिक प्रोत्साहन देना
चाहिए। इससे
ना सिर्फ महिला मरीजों को लाभ होगा, बल्कि
हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में भी समानता बढ़ेगी। खासकर महिला मरीजों के लिए, यह अध्ययन बताता है कि महिला डॉक्टरों से इलाज करवाने पर
उन्हें ज्यादा फायदा होता है। महिला डॉक्टर अपने मरीजों के साथ अच्छे से बातचीत कर
पाती हैं और उनका ध्यान रखने में ज्यादा सावधान रहती हैं। इससे महिला मरीज ज्यादा
सहज महसूस करती हैं और अपनी समस्याएं आसानी से बता पाती हैं।
जूतों के साइज नंबर से नहीं इस नई तकनीक से बनाए व जाने जाएंगे....?
अब तक हम जूते खरीदते
समय नंबर से साइज का पता लगते ठे लेकिन यह प्रणाली यूके द्वारा निर्धारित
साइज होती थी। जूतों के बाजार में अभी तक साइज के लिए कोई भारतीय मानक प्रणाली
नहीं थी,लेकिन अब देश में स्थानीय मानक
प्रणाली से जूतों का साइज तय किया जाएगा। इस सिस्टम का नाम 'भा' रखा गया है। जल्द ही इसे
बाजार में लागू किया जाएगा। भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और एक
भारतीय के पास अब औसतन 1.5 फुटवियर हैं। यह दुनिया
के सबसे बड़े बाजारों और जूतों के निर्माताओं में से एक है। जानकारी के मुताबिक
ऑनलाइन ऑर्डर किए गए करीब 50 प्रतिशत जूते ग्राहकों द्वारा
वापस कर दिए गए थे। वजह जूतों की सही फिटिंग का नहीं होना था। भारतीय साइज प्राणाली 'भा' के साथ उपयोगकर्ताओं और
फुटवियर निर्माताओं दोनों को लाभ हो सकता
है। अमेरिकी और यूके साइज प्रणालियों के
तहत जूतों के साइज संकीर्ण होते हैं। इससे भारतीय लोगों के पांव में जूते बहुत फिट
नहीं आते हैं। कई भारतीय खराब फिटिंग वाले या बड़े आकार के जूते पहनते हैं। इससे
उन्हें असुविधा भी होती है और चोट लगने के साथ-साथ पैरों के स्वास्थ्य से समझौता
भी करना पड़ता है। देश में जूतों की साइज को लेकर
भारतीय प्रणाली की जरूरत क्यों महूसस हुई और रिसर्च में क्या पाया गया। शुरुआत में यह माना जाता था कि भारतीयों के लिए कम से कम पांच
फुटवियर साइज सिस्टम की जरूरत होगी।
सर्वेक्षण से पहले यह माना जाता था कि पूर्वोत्तर भारत के लोगों के पैरों का आकार शेष भारत की तुलना में औसतन छोटा होता है। भारतीय जूतों के साइज को लेकर दिसंबर 2021 से मार्च 2022 के बीच एक सर्वे किया गया। यह सर्वे 5 भौगोलिक इलाकों में 79 जगहों पर हुआ। सर्वे में करीब 1,01,880 लोगों ने हिस्सा लिया। इस दौरान 3D फुट स्कैनिंग मशीनों के जरिए भारतीय लोगों के पांव के नाप लिए गए और पैर के आकार, संरचना को समझने की कोशिश की गई। सर्वे में यह पता चला कि एक औसत भारतीय महिला के पैर के आकार में वृद्धि 11 साल की उम्र में चरम पर होती है जबकि एक भारतीय पुरुष के पैर के आकार में वृद्धि लगभग 15 या 16 साल में होती है। भारतीय लोगों के पैर यूरोपीय या अमेरिकियों की तुलना में अधिक चौड़े पाए गए।
पुरुषों के लिए जूतों के
फीतों को कहीं ज्यादा टाइट किया गया था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जूते
ढीले ढाले न हों। इससे पहनने वाले के लिए रक्त का सामान्य प्रवाह भी प्रभावित हुआ।
'भा' का उद्देश्य इस तरह की
सभी दिक्कतों से छुटकारा दिलाना है। अमेरिका 10 और यूके के 7 साइज सिस्टम की जगह 'भा' नेअलग-अलग उम्र वर्ग और
जेंडर समूहों के लिए अलग-अलग साइज का प्रस्ताव दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि
भारतीय साइज सिस्टम आने से जूते और आरामदायक बनेंगे। देश आजाद होने से पहले
अंग्रेजों ने भारत में जूते के यूके साइज की शुरुआत की। इस मानक के मुताबिक एक औसत
भारतीय महिला 4 से 6 साइज के जूते पहनती है और एक पुरुष औसतन 5 से 11 साइज के जूते पहनता है।
चूंकि भारतीयों के पैरों की संरचना, आकार, डायमेंशन पर कोई डेटा
मौजूद नहीं था, इसलिए भारतीय सिस्टम विकसित करना मुश्किल था और इसे कभी शुरू नहीं
किया गया था। चूंकि भारतीयों के पैरों की संरचना, आकार, आयाम पर कोई डेटा मौजूद
नहीं था, इसलिए भारतीय प्रणाली विकसित करना मुश्किल था और इसे कभी शुरू नहीं
किया गया था।
भारतीय बैंकों में ऑनलाइन 65,017 फ्रॉड के मामले सामने से OTP Scam ऑनलाइन ट्रांजेक्शन फ्रॉड रोकने सरकार हुई हाई अलर्ट....
RBI की रिपोर्ट की मानें तो पिछले वित्त वर्ष 2023 में भारत में 302.5 बिलियन यानी 30 हजार करोड़ रुपये से
ज्यादा के बैंक फ्रॉड रिकॉर्ड किए गए हैं। हालांकि, यह वित्त वर्ष 2021 के 1.3 ट्रिलियन रुपये के
मुकाबले काफी कम है। पिछले एक दशक की बात करें तो 1 जून 2014 से लेकर 31 मार्च 2023 तक भारतीय बैंकों में 65,017 फ्रॉड के मामले सामने आए
हैं,
जिसकी
वजह से 4.69 लाख करोड़ रुपये है। साइबर क्रिमिनल्स UPI स्कैम, क्रेडिट कार्ड स्कैम, OTP स्कैम, नौकरी के नाम पर स्कैम, डिलीवरी स्कैम आदि के
जरिए लोगों को चूना लगा रहे हैं। भारत में तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन फ्रॉड को देखते
हुए सरकार ने बड़ी तैयारी कर ली है। गृह मंत्रालय ने
SBI कार्ड्स एंड पेमेंट
सर्विसेज और टेलीकॉम ऑपरेटर्स के साथ मिलकर फुलप्रूफ प्लान बनाने का फैसला किया
है। ये सभी स्टेकहोल्डर्स OTP Scam के जरिए बैंकिंग सेक्टर
पर होने वाले साइबर अटैक पर लगाम लगाएंगे। सूत्रों की मानें तो इसके लिए तैयार किए
गए सॉल्यूशन की फिलहाल टेस्टिंग की जा रही है। यह सॉल्यूशन बैंकिंग सिस्टम में
ग्राहकों के रजिस्टर्ड अड्रेस के लोकेशन और OTP डिलीवर होने के लोकेशन
के आधार पर स्कैम की पहचान करेगा।
यह सॉल्यूशन न सिर्फ ग्राहकों को फिशिंग का अलर्ट भेजेगा,बल्कि पहले भेजे हुए OTP को ब्लॉक करने का भी काम करेगा। इसकी वजह से अगर साइबर अपराधियों के हाथ पेमेंट करने के लिए OTP प्राप्त भी हो जाएगा, तो भी वो फ्रॉड नहीं कर पाएंगे। उदाहरण के तौर पर अगर कोई ग्राहक दिल्ली में है और उसका OTP बेंगलुरू में डिलीवर हुआ तो यह सॉल्यूशन अलर्ट भेज देगा और OTP को ब्लॉक कर देगा। इंडियन साइबर क्राइम कोओर्डिनेशन सेंटर (i4C)की रिपोर्ट के मुताबिक, साइबर अपराधी अप्रैल 2021 से लेकर दिसंबर 2023 के बीच 10,319 करोड़ रुपये का OTP फ्रॉड कर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर फ्रॉड का लोकेशन चीन, कम्बोडिया और मयंमार रहा है।
सरकार द्वारा OTP स्कैम पर लगाम लगाने के लिए जिस सॉल्यूशन पर काम किया
जा रहा है वो बैंक अकाउंट होल्डर्स के रियल टाइम लोकेशन के आधार पर फिशिंग के लिए
अलर्ट जारी करेगा। इससे रिमोट लोकेशन से किए जाने वाले फ्रॉड की पहचान की जा
सकेगी। इस सॉल्यूशन के लिए SBI कार्ड और टेलीकॉम कंपनियों के
साथ साझेदारी की गई है। खाता धारकों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के रियल टाइम लोकेशन
को यह सॉल्यूशन डिटेक्ट कर लेगा। जैसे ही ग्राहकों के डिवाइस की लोकेशन और OTP प्राप्त होने के लोकेशन
में कोई अंतर होगा, तो तुरंत ग्राहकों को फिशिंग अलर्ट मिलेगा, जिसकी वजह से होने वाले
साइबर फ्रॉड को रोका जा सकेगा।
कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया…MH-CM एकनाथ शिंदे
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, कांग्रेस ने गरीबी हटाओ का नारा दिया, लेकिन इसके बजाय गरीब हटा दिए गए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया। राज्य सरकार सभी समुदायों के साथ न्याय कर रही है। इससे पहले, (शिवसेना संस्थापक) बाल ठाकरे के समय में, हमारे पास राज्य मंत्री के रूप में साबिर शेख थे। शिंदे ने कहा, अब हमारे पास अब्दुल सत्तार (कैबिनेट में) हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का दावा कि मोदी सरकार संविधान बदल देगी, केवल एक चुनावी जुमला
था। एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस
ने मुसलमानों को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन नरेंद्र मपड़ी सरकार
ने समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया है। शिंदे राष्ट्रीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और राज्य में
परभणी लोकसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के उम्मीदवार महादेव जानकर के
लिए पाथरी में प्रचार कर रहे थे। शिंदे ने कहा कि उनकी सरकार ने मौलाना आजाद अल्पसंख्यक
वित्तीय विकास निगम के लिए आवंटित धनराशि को 30 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया। उन्होंने कहा कि मोदी
सरकार ने सभी धर्मों के लोगों को मुख्यधारा में लाने के लिए कई योजनाएं लागू कीं। उन्होंने कहा कि
कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन मोदी सरकार ने 25 करोड़ लोगों का उत्थान किया।
कोटक महिंद्रा बैंक पर चला RBI का हंटर…जाने क्या है पूरा मामला...?
आरबीआई ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि 2022 और 2023 के
लिए भारतीय रिजर्व बैंक के आईटी एक्सामिनेशन के दौरान बैंक में कई प्रकार की
कमियों को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। कोटक महिंद्रा बैंक तय समय के भीतर इन
चिंताओं का निराकरण करने में विफल साबित हुआ है। आरबीआई ने कहा कि रोबस्ट आईटी
इंफ्रास्ट्रक्चर और आईटी रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क के अभाव में बैंक के कोर
बैंकिंग सिस्टम और
उसके ऑनलाइन और डिजिटल बैंकिंग चैनल्स ने बीते दो सालों में कई दफा आउटेज का सामना
किया है। इसी महीने 15 अप्रैल
2024 को
भी सर्विसेज ठप्प पड़ गई थी,जिससे बैंक के ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना
पड़ा है। कोटक
महिंद्रा बैंक के खिलाफ बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व
बैंक ने बड़ी कार्रवाई की है। आरबीआई ने
कोटक महिंद्रा बैंक को ऑनलाइन या मोबाइल बैंकिंग चैनल्स के जरिए नए ग्राहक जोड़ने
पर रोक लगा दी है। इसके अलावा आरबीआई ने कोटक बैंक के नए क्रेडिट कार्ड्स भी जारी
किए जाने पर रोक लगाने का फैसला किया है,हालांकि आरबीआई ने कहा कि कोटक महिंद्रा
बैंक अपने मौजूदा कस्टमर्स जिसमें क्रेडिट कार्ड कस्टमर्स भी शामिल हैं उन्हें सभी
सर्विसेज उपलब्ध कराती रहेगी।
आरबीआई के मुताबिक कोटक महिंद्रा बैंक अपने ग्रोथ के
साथ आईटी सिस्टम्स को मजबूत करने में विफल रहा है। पिछले दो वर्षों में आरबीआई
लगातार आईटी सिस्टम्स की मजबूती और इन दिक्कतों को दूर करने के लिए बैंक के टॉप
मैनेजमेंट के साथ संपर्क में रहा है,लेकिन नतीजा संतोषजनक नहीं रहा है। आरबीआई के
मुताबिक बैंक के डिजिटल ट्रांजैक्शन के वॉल्यूम में जोरदार तेजी देखने को मिली है
जिसमें क्रेडिट कार्ड्स से जुड़ा ट्रांजैक्शन भी शामिल है। इससे आईटी सिस्टम्स पर
भार बढ़ा है।
इसी वजह से आरबीआई ने कस्टमर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए बैंक
पर बिजनेस बंदिशें लगाने का फैसला किया है, जिससे लंबी अवधि के आउटेज को रोका जा
सके क्योंकि इससे बैंक के कस्टमर सर्विसेज तो प्रभावित होगी ही साथ में डिजिटल
बैंकिंग और पेमेंट सिस्टम्स के फाइनेंशियल इकोसिस्टम को भी झटका लगेगा।
VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछे चुनाव आयोग से सवाल....?
वीवीपैट स्वतंत्र रूप से वोट का सत्यापन करने वाली प्रणाली है, जो मतदाता को यह देखने की अनुमति देती है कि उसका वोट उसी
उम्मीदवार को गया है या नहीं, जिसे उसने वोट दिया है। इसके
जरिए मशीन से कागज की पर्ची निकलती है, जिसे
मतदाता देख सकता है और इस पर्ची को एक सीलबंद लिफाफे में रखा जाता है तथा विवाद की
स्थिति में इसे खोला जा सकता है EVM के जरिए डाले गए वोटों के साथ सभी
वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान करने के निर्देश देने की मांग वाली
याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग (EC) से कुछ अहम
सवाल पूछे हैं। न्यायमूर्ति
संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने चुनाव आयोग (ईसीआई) के एक
वरिष्ठ अधिकारी को कुछ सवालों के जवाब देने के लिए
अदालत में उपस्थित होने के लिए कहा है। कोर्ट ने आयोग से
जो सवाल पूछे हैं उनमें शामिल हैं...# माइक्रो
कंट्रोलर कंट्रोलिंग यूनिट में लगा होता है या फिर वीवीपैट में ?#
क्या माइक्रो कंट्रोलर वन टाइम प्रोग्रेमबल होता है ? # आयोग के पास चुनाव चिन्ह अंकित करने
के लिए कितने यूनिट उपलब्ध हैं ? # आपने कहा
कि चुनाव याचिका दायर करने की सीमा अवधि 30 दिन है और इस प्रकार स्टोरेज और रिकॉर्ड 45 दिनों तक बनाए रखा जाता है. लेकिन लिमिटेशन डे 45 दिन है,आपको इसे
सही करना होगा। कोर्ट ने इस मामले में कुछ दिन पहले भी सुनवाई की थी लेकिन उस
दौरान कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
उस दौरान जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर
दत्ता की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा था कि हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता और
याचिकाकर्ताओं को ईवीएम के हर पहलू के बारे में आलोचनात्मक होने की जरूरत नहीं है।
इससे पहले, एक अप्रैल को
न्यायालय ने निर्वाचन आयोग और केंद्र से नागरिक अधिकार कार्यकर्ता अरुण कुमार
अग्रवाल की एक याचिका पर जवाब मांगा था। याचिका में चुनावों में वीवीपैट की सभी
पर्चियों की गिनती का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। वहीं, वर्तमान में
एक संसदीय क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से यादृच्छिक रूप से चयनित केवल
पांच ईवीएम से पर्चियों का मिलान किया जाता है।
कांग्रेस की लूट जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी....एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को मुस्लिमों को देना चाहती है...पीएम मोदी
पीएम मोदी ने
आतंकवाद और नक्सल मुद्दे पर
कांग्रेस को टारगेट करते हए कहा कि कांग्रेस देश को तबाह करना चाहती है। आतंकवाद और नक्सल कांग्रेस के कारण ही फैला। जो निर्दोषों और जवानों
पर हमला करते हैं,अगर वे
मारे जाएं तो कांग्रेस वाले
उन्हें शहीद कहते हैं। ये शहीदों का अपमान है। ऐसी कांग्रेस की सबसे बड़ी नेता
आतंकवादियों के मारे जाने पर आंसू बहाती हैं। कांग्रेस
देश का भरोसा खो चुकी है। आज जब मैं सरगुजा आया हूं तो कांग्रेस की मुस्लिम लीग की
सोच को देश के सामने रखना चाहता हूं। जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्षी दलों को
निशाना बनाया। पीएम मोदी ने कहा कि जब कांग्रेस का मेनिफेस्टो आया उसी दिन मैंने कह दिया था कि कांग्रेस के मेनिफेस्टो पर
मुस्लिम लीग की छाप है। बाबा साहब ने आरक्षण धर्म के आधार पर देने का विरोध किया
था,लेकिन कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में धर्म के आधार
पर आरक्षण दिया। वो
भी एसटी, एससी और
ओबीसी कोटे से। कांग्रेस एसटी, एससी और
ओबीसी का आरक्षण मुस्लिमों को देना चाहती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का कहना हर
परिवार की संपत्ति का एक्स रे करेंगे और उसे अपने वोट बैंक को बांट देंगे। पीएम
मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भाजपा सरकार आतंकवाद और नक्सलवाद के विरुद्ध कड़ी
कार्रवाई कर रही है,लेकिन
कांग्रेस हिंसा फैलाने वालों का समर्थन कर रही है।
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में
देश तेजी से विकास कर रहा है। छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय सरकार ने किसानों को
धान की कीमत दी, अब
तेंदूपत्ता संग्राहकों को ज्यादा पैसा मिल रहा है। छत्तीसगढ़ की माता बहनों को
महतारी वंदन का लाभ हुआ है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार में घोटाले हुए,अब कांग्रेस की घोटालेबाजों पर एक्शन हो रहा है। पीएम मोदी
ने जनता से कहा कि साथियों मैं यहां आपसे विकसित भारत विकसित छत्तीसगढ़ के लिए आशीर्वाद
मांगने के लिए आया हूं। इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि कुछ ताकते ये नहीं चाहती
कि भारत शक्तिशाली हो,अगर भारत शक्तिशाली हो गया तो ऐसी ताकतों का खेल ही बिगड़
जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के बयान पर
पलटवार करते हुए कहा कि आप जो अपनी मेहनत से संपत्ति जुटाते हैं, वो आपके बच्चों को नहीं मिलेगी। कांग्रेस का पंजा वो भी आपसे
लूट लेगा। कांग्रेस का मंत्र है- कांग्रेस की लूट जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के
बाद भी। पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के सरगुजा
में कहा,आपके
जीवित रहने तक कांग्रेस आपको ज्यादा टैक्स से मारेगी और जब जीवित नहीं रहेंगे तो
आप पर विरासत कर का बोझ
लाद देगी। पूरी कांग्रेस को अपनी पैतृक संपत्ति मानकर जिन लोगों ने अपने बच्चों को
दे दी, अब वो
नहीं चाहते कि भारतीय अपनी संपत्ति अपने बच्चों को दें।
"ड्रग ट्रैफिकर", "दलाल" और "वेश्या" जैसे शब्दों के ऐप 'UPCOP' को लेकर विवाद….
उत्तर प्रदेश के किरायेदारों के वेरिफिकेशन के लिए बनाए
गए ऐप 'UPCOP' को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस ऐप में किरायेदारों के प्रोफेशन के लिए बनाए गए ड्रॉपडाउन
में आपत्तिजनक चीजें शामिल की गई हैं। इसमें भाड़े के
हत्यारे, तस्कर और जुआरी जैसे अपराधों को प्रोफेशन की विकल्प लिस्ट में
शामिल किया गया है। UPCOP ऐप ने
प्रोफेशन ड्रॉपडाउन मेन्यू में बूटलेगर, ड्रग
ट्रैफिकर,दलाल और वेश्या
जैसे आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल प्रोफेशन के लिए किया गया है। एक उपयोगकर्ता को जवाब देते हुए
यूपी पुलिस ने रविवार को कहा कि ड्रॉपडाउन राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो
(एनसीआरबी) द्वारा तैयार किए गए मास्टर डेटा पर आधारित था। पुलिस ने कहा,इस मामले को संज्ञान में लाने के लिए धन्यवाद। ड्रॉपडाउन एनसीआरबी द्वारा भरे
गए मास्टर डेटा पर आधारित है। अन्य राज्यों ने भी संबंधित एजेंसी के साथ इस मुद्दे को
उठाया है। हम इसको
ठीक करवाने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि इस ऐप को चेक करने से पता चला कि इस गलती को सुधार
लिया गया है।
दान के नाम पर योग शिविरों से वसूलते है शुल्क,बाबा रामदेव को देना होगा योग शिविर लगाने पर सर्विस टैक्स....SC
सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को योग
शिविर लगाने के लिए सर्विस टैक्स चुकाने का आदेश दिया है। शीर्ष कोर्ट अपीलीय
न्यायाधिकरण के उस फैसले को बरकरार रखा है,जिसमें ट्रस्ट को योग शिविरों के आयोजन के लिए प्रवेश शुल्क
लेने पर सेवा कर का भुगतान करने को कहा गया था। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस
उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सीमा शुल्क, उत्पाद
शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (CESTAT) की
इलाहाबाद पीठ के 5 अक्टूबर, 2023 को आए फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसी के साथ
पीठ ने ट्रस्ट की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि, न्यायाधिकरण ने ठीक ही कहा है कि
शुल्क वाले शिविरों में योग
करना एक सेवा है। हमें इस आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं मिला। अपील
खारिज की जाती है। बता दें कि इससे पहले अक्टूबर 2023 में सीईएसटीएटी ने अपने आदेश में कहा था कि पतंजलि योगपीठ
ट्रस्ट की तरफ से आयोजित आवासीय एवं गैर-आवासीय योग शिविरों में शामिल होने के लिए
शुल्क लिया जाता है, इसलिए यह स्वास्थ्य
और फिटनेस सेवा की श्रेणी
में आता है और इस पर सेवा कर यानी सर्विस टैक्स लगेगा। योग गुरु रामदेव और
उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के अधीन काम करने वाला ये ट्रस्ट विभिन्न शिविरों में
योग प्रशिक्षण प्रदान करने का काम करता है।
न्यायाधिकरण ने पिछले साल अक्टूबर में
अपने आदेश में कहा था कि प्रतिभागियों से दान के रूप में योग शिविरों के लिए शुल्क
लिया गया था। हालांकि यह राशि दान के रूप में ली गई थी,लेकिन यह उक्त सेवाएं
प्रदान करने के लिए शुल्क ही था। इसलिए यह शुल्क की परिभाषा के तहत ही आता है। बता
दें कि सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, मेरठ रेंज के आयुक्त ने मांग की थी कि पतंजलि योग ट्रस्ट
अक्टूबर, 2006 से मार्च, 2011 के बीच लगाए गए ऐसे शिविरों के लिए 4.5 करोड़ रुपये चुकाए। इसमें जुर्माना, ब्याज और सेवा कर भी शामिल था। इसके जवाब में ट्रस्ट ने दलील
दी थी कि वह ऐसी सेवाएं प्रदान कर रहा है जो बीमारियों के इलाज के लिए हैं। ट्रस्ट
ने कहा था कि ये सेवाएं स्वास्थ्य और फिटनेस सेवा के तहत कर-योग्य नहीं हैं।
छोटी उम्र के बच्चों को एक ही PNR पर यात्रा कर रहे पैरेंट्स और अभिभावक में से किसी एक के साथ सीट अलॉट की जाए DGCA
विमानन नियामक (DGCA) ने तमाम
एयरलाइंस कंपनियों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उड़ान के दौरान 12 साल या उससे कम आयु वर्ग के बच्चों को उनके माता-पिता या
अभिभावकों में से कम से कम एक के साथ सीट आवंटित की जाए। दरअसल आमतौर पर ये देखने में आता है कि एयरलाइंस टिकटों का
बंटवारा अपनी सुविधा के आधार पर कर देती है। ऐसे में कई बार 12 या उससे कम आयु के बच्चों की सीट पैरेंट्स से अलग हो जाती है।
ऐसी स्थिति में छोटे बच्चों के लिए यह काफी असहज हो जाता है। ऐसे में अगर किसी
अन्य यात्री ने समझौता कर अपनी सीट दे दी तो ठीक वरना अलग-अलग ही यात्रा करना
पड़ती है। डीजीसीए की ओर से एक
अहम बयान जारी किया गया है। इसके तहत एयरलाइंस को
यह देखना होगा कि उनकी फ्लाइट में 12 वर्ष या
उससे छोटी उम्र के बच्चों को एक ही PNR पर यात्रा
कर रहे पैरेंट्स और अभिभावक में से किसी एक के साथ सीट अलॉट की जाए। यही नहीं इसके
साथ ही डीजीसीए ने यह भी कहा है कि इसका रिकॉर्ड भी एयरलाइंस अपने पास रखें। डीजीसीए की ओर से एयरलाइनों की सर्विस मामले में भी अपने
पुराने सर्कुलर को संशोधित किया गया है। इसके तहत सीट अलॉटमेंट से लेकर फ्लाइट में
भोजन, नाश्ता, पेय शुल्क और म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स ले जाने पर लिए जाने
वाले किराए की अनुमति है। वहीं डीजीसीए ने कहा है कि ये सर्विस एयरलाइन पर निर्भर
करता है कि वह दें। ये अनिवार्य सुविधा या सेवा नहीं है।
कांग्रेस पर गरजे सपा नेता अबू आजमी पीएम मोदी को भी घेरा....
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान कि कांग्रेस सबकी
संपत्ति इकट्ठा करके उन लोगों को बांटेगी, जिनके ज्यादा बच्चे हैं’, ने देश की सियासत में
खलबली मचा दी है। प्रधानमंत्री ने अपने बयान में मुसलमानों’ और घुसपैठियों’ का भी नाम लिया था। समाजवादी
पार्टी के नेता अबू आसिम आजमी ने प्रधानमंत्री के बयान की प्रतिक्रिया में कहा कि
हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा बनाकर दोनों को लड़ाना अच्छी बात नहीं है। अबू आजमी ने
प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘देश में हिंदू मुस्लिम
का मुद्दा बनाकर हिंदुओं और मुसलमानों को लड़ाना अच्छी बात नहीं है। यह वोटों की
ध्रुवीकरण की राजनीति हो रही है ऐसा नहीं होना चाहिए। देश में गंगा-जमुनी तहज़ीब
क़ायम रहनी चाहिए। मुसलमानों को आज़ादी के बाद कुछ नहीं मिला। जो 35 फीसदी रिजर्वेशन साइमन
कमीशन ने दिया था, वह भी जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने रद्द कर दिया।
कांग्रेस सरकार में भी मुसलमानों के साथ अन्याय ही हुआ, उन्हें कुछ नहीं मिला। अबू आजमी ने अजित पवार
की NCP
को
जॉइन करने की अटकलों पर कहा कि यह ज़रूर है कि मैंने प्रफुल्ल पटेल से मुलाक़ात की
थी लेकिन हम दोस्त हैं। उन्होंने कहा, देवेंद्र फडणवीस भी मेरे
मित्र हैं, सीएम शिंदे भी मेरे मित्र हैं। हम मिलते रहते हैं लेकिन इसका मतलब
ये नहीं कि मैं समाजवादी पार्टी छोड़ दूंगा। महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी का
पौधा मैंने लगाया है, उसे बड़ा किया है, मैं उसे छोड़कर नहीं
जाऊंगा।
राजनीति में कुछ भी हो सकता है लेकिन मैं अभी समाजवादी पार्टी नहीं
छोड़ूंगा। सपा विधायक रईस शेख के साथ विवाद पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘समाजवादी पार्टी के
विधायक रईस शेख़ के साथ विवाद ख़त्म हो गया है। उनका यह कहना था कि मुझे अन्य
चुनाव क्षेत्र की भी ज़िम्मेदारी दी जाए। उनके कार्यकर्ता उनके समर्थन में
नारेबाज़ी कर रहे थे न कि समाजवादी पार्टी के नाम पर, सिर्फ़ इसलिए विवाद हुआ
था।